n. achariya
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| Introduction | यह ब्लॉग साहित्यक विषयों पर चर्चा करने के लिए बनाया गया है। चर्चा यानी चुन्झ चर्चा। आप भी इस चर्चा में अपनी चोंच फंसा सकते हैं। किसी के पर नोंच सकते हैं, अपने पर नुन्च्वा सकते हैं। घंभीर चर्चा के लिए पीछे का दरवाज़ा खुला है। परिणाम मिला जुला है, क्योंकि बन्दा पानी का बुलबुला है। बुलबुला यानी बुल्ला की जानां मैं कौन? मंतों के कन्धों पर प्रेम परकाश की धौन, यानी गर्दन। |
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