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KSHITIZ ROY
On Blogger since: September 2010
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About me

GenderMale
LocationNew Delhi, Delhi., India
Introductionउलझे-उलझे से इस तार में मुझे मेरा 'मैं' दिख रहा है। इसकी उलझन में मुझे मेरे सिरे दीखते है- लापता से सिरे जो कहीं नहीं मिलते। कवित्त -किताब-कर्म-कुंठा-कष्ट-लालसा-काम-क्रोध में गुम होते सिरे, सत्य-अर्धसत्य-और मिथ्या के बीच उलझते मेरे सिरे, इस तार की तरह ही उलझ गया हूँ मैं- उलझे से इस तार की गांठें मुझ में भी हैं- संस्कारों की, खोखले से पुरुषार्थ की। उम्र ने कई गांठें पिरो दी हैं भीतर - रिश्तों की, अभिलाषाओं की, 'स्वत्व' की! उलझा सा तार- उलझा सा मैं : मैं इनको कभी सुलझा नहीं पता। उलझे से तार को कान में डाले, गीत सुनता, उलझा मैं- जीता हूँ।
Favorite moviesINGLORIOUS BASTARDS,MAQBOOL,OMKARA,CATCH ME IF YOU CAN,GULAL,DEV-D,BLACK FRIDAY,
Favorite musicKAMINE,PINK FLO,EMINEM,RIHHANA,PORCUPINE TREE,GREEN DAY
Favorite booksSHEKHAR EK JEEVANI,THE BROTHERS KARMAZOV,SONS AND LOVERS,CRIME AND PUNISHMENT,AGLE JANAM MOHE BITIYA NA KIJO,TAMAS,NADI KE DWEEP,ENGLISH,AUGUST.
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