शैलन्द्र झा

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Gender Male
Introduction कुछ न पूछों कि कौन हूं मैं.. ज़बान तीखी मिर्च-सी है। हरकतों से थोड़ा नाकारा हूं, थोड़ी गुस्ताखियां भी है। आप मुझे प्यार करेंगे क्योंकि मैं सच कहूंगा..आप मुझसे नफरत करेंगे क्यों कि मैं सच कहंगा। मैं गीता की कसम नहीं खा सकता (क्योंकि मैं इस नाम की किसी लड़की से अरसे से नहीं मिला। पर मुझमें उतना ही प्यार भरा है जितना धरती के सीने में लावा है। मेरे लिए हर विधा एक-सी है। रिपोर्ताज, कविताएं (अपनी और दूसरों की)...मैं सर पर खबरों का टोकरा रखे आप को हांक लगाऊंगा।