देवेश
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Gender | Male |
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Industry | Arts |
Location | New Delhi, Delhi, India |
Introduction | इंसान जुलाहा होता है। ये क़ाबिलियत उसे क़ुदरत ने दी है। वो ना चाहे तब भी बुनता ही रहता है कुछ न कुछ। बंद डिब्बे से दिमाग़ में वो अंधेरा बुनता है और कोलाहल में बुनता है मौन। इस मौन में जितनी बेचैनी होती है उतनी आध्यात्मिकता भी। कभी-कभी किसी विराट शोर के आगे एक क्षणिक मौन भी उस विराट को छोटा कर जाता है। मेरे लिए यह एक बड़ी बुनावट की शुरुआत भी हो सकती है। यह एक छोर है जहां से मेरी बुनावट उभरनी शुरू होती है। अगर ये सही बुन पाया तो मैं बुनूँगा खिड़कियाँ, छतें, बालकनियाँ, ठंडी हवाएं और खूब सारे पहाड़। |
Interests | साहित्य, रंगमंच, लोकनाट्य, लोकगायन, शास्त्रीय गायन, शास्त्रीय नृत्य, स्केचिंग |