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गौरव गगन - Gaurav Gagan
On Blogger since: August 2007
Profile views: 406

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About me

GenderMale
IndustryEducation
OccupationGraphics Desinger
LocationPatna, Bihar, India
Introductionमैंने चाहा जब भी उड़ना नील गगन में पंख पसार शुष्क धरा पर ले आया अन्त:करण मेरा हर बार क्या वह मेरे हिस्से का अम्बर है जिस पर मैंने डैने हैं फैलाये या पंख मेरे ये अपने हैं बन्दर-बाँट में जो मेरे हिस्से में आये कहीं प्लेटें पकवानों की फिंकती कहीं भूख खड़ी कचरे के ढेरों पर किस के हिस्से की कालिमा छा गई इन उजले भोर-सवेरों पर निजी बंगलों में तरण-ताल जहाँ लबालब भरे पड़े हैं मीठे पानी से वहीं सूखे नल पर भीड़ लगी है प्रतीक्षा रत जल की रवानी में वातानुकूलित कमरों में होती घुसफुस सूरज की तपिश के बारे में धूप में ही सुसताती मेहनत फ़ुटपाथ और सडकों किनारों में नेताओं के झुँड ने चर ली हरियाली सारी मेहनत के खेतों की अफसर शाही धूल चाटती अँगूठा-छापों के बूटों की खुली संस्कृति विदेशी चैनल साइवर कैफ़ों की धूम मची फ़ोन कैमरा और मोबाइल नग्न एम एम एस बनी एक कड़ी हैलो हाय और मस्त धुनों पर देश के भावी कर्णधार झूम रहे हैं टपके तो लपके हम यही सोच कर कपट शिकारी घूम रहे हैं एक घुटन का साम्राज्य है बहती नहीं जब कोई वयार कैसे उड़ूँ मैं नील गगन में बिँधे हुए पंखों से कैसे पाऊँ पार मैंने चाहा जब भी उड़ना नील गगन में पंख पसार शुष्क धरा पर ले आया अन्त:करण मेरा हर बार
InterestsWeb designs.
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