satyaveer jain

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Gender Male
Location bikaner, rajasthan, India
Introduction मन समर्पित, तन समर्पित > और यह जीवन समर्पित > चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं > > माँ तुम्हारा ॠण बहुत है, मैं अकिंचन > किन्तु इतना कर रहा फिर भी निवेदन > थाल में लाऊँ सजा कर भाल जब भी > कर दया स्वीकार लेना वह समर्पण > > गान अर्पित, प्राण अर्पित > रक्त का कण कण समर्पित > चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं > > मांज दो तलवार, लाओ न देरी > बाँध दो कस कर क़मर पर ढाल मेरी > भाल पर मल दो चरण की धूल थोड़ी > शीश पर आशीष की छाया घनेरी > > स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित > आयु का क्षण क्षण समर्पित > चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं > > तोड़ता हूँ मोह का बन्धन, क्षमा दो > गांव मेर7, द्वार, घर, आंगन क्षमा दो > आज सीधे हाथ में तलवार दे दो > और बायें हाथ में ध्वज को थमा दो > > यह सुमन लो, यह चमन लो > नीड़ का त्रण त्रण समर्पित > चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं वन्देमातरम
Interests वन्दे मातरम् सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम् शस्यशामलां मातरम् । शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं सुखदां वरदां मातरम् ।। १ ।। वन्दे मातरम् । कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले, अबला केन मा एत बले । बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं रिपुदलवारिणीं मातरम् ।। २ ।। वन्दे मातरम् । तुमि विद्या, तुमि धर्म तुमि हृदि, तुमि मर्म त्वं हि प्राणा: शरीरे बाहुते तुमि मा शक्ति, हृदये तुमि मा भक्ति, तोमारई प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे मातरम् ।। ३ ।। वन्दे मातरम् । त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी कमला कमलदलविहारिणी वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम् नमामि कमलां अमलां अतुलां सुजलां सुफलां मातरम् ।। ४ ।। वन्दे मातरम् । श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषितां धरणीं भरणीं मातरम् ।। ५ ।। वन्दे मातरम् ।। ____________________________ यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥४-७॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् । धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥४-८॥
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